Tuesday 16 August 2016

Kamjor sarir ko majbut banae

माता-पिता के लिए बच्चों की सेहत में कमजोरी चिंता का विषय होती है। इसलिए अक्सर बच्चों की कमजोरी से परेशान लोगों को डॉक्टर के क्लिनिक के चक्कर लगाते देखा जा सकता है। इसका कारण ये है कि हम में से अधिकतर पारंपरिक अनमोल खजाने को टटोलने के बजाए बच्चों को कृत्रिम दवाओं के सहारे बलवान, ऊर्जावान और स्मरण शक्ति में तेज बनाने की अपेक्षा रखते हैं। दरअसल, हम ये भूल जाते हैं कि रासायनों के घातक प्रभाव को देर-सवेर बच्चा ही भोगता है। चलिए आज जिक्र करते हैं कुछ पारंपरिक हर्बल नुस्खों का जिनका उपयोग कर आप अपने बच्चों को सेहतमंद बना सकते हैं।
1. अपने बच्चों को भुने हुए चने को अच्छी तरह से चबाकर खाने की सलाह दें। ऊपर से 1-2 चम्मच शहद पीने के लिए कहें, यह शरीर को बहुत ही स्फूर्तिवान और शक्तिशाली बनाता है।

2. भिंडी के बीजों को एकत्र कर सुखाएं और बच्चों को इसका चूर्ण खिलाएं। माना जाता है कि ये बीज प्रोटीनयुक्त होते है और उत्तम स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं। दरअसल, ये बेहद गुणकारी और शक्तिवर्धक होते हैं।

3. डांग- गुजरात के आदिवासी मानते है कि बच्चों को रोजाना सुबह और शाम 4-4 चम्मच अंगूर के रस का भोजन के बाद सेवन कराया जाए तो बुद्धि और स्मरण शक्ति का विकास होता है। साथ ही, बच्चों को चुस्त दुरूस्त रखने में भी मदद करता है।

4. पातालकोट में आदिवासी बच्चों के शारीरिक विकास के लिए चौलाई या पालक की भाजी का सेवन करवाते हैं, साथ ही इसकी पत्तियों के रस का सेवन भी करवाते हैं। इन आदिवासियों की मानी जाए तो ये पौधे बहुत गुणकारी होने के साथ-साथ शरीर को शक्ति भी देते हैं।

5. प्याज और गुड़ का सेवन करने की सलाह गुजरात के डांगी आदिवासी देते है। इन आदिवासियों की मानी जाए तो बच्चों को खाने के साथ लगभग हर दिन प्याज और गुड़ दिया जाना चाहिए ताकि वे बलवान बनें।

6. सिंघाडा बच्चों के शरीर को शक्ति प्रदान करता है और खून बढ़ाता है। सिंघाड़े में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, फास्फोरस, लोहा, खनिज तत्व, विटामिन, स्टार्च और मैंग्नीज जैसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार कच्चे हरे सिंघाडा खाने से बच्चों के शरीर में तेजी से ऊर्जा मिलती है और स्मरण शक्ति में भी इजाफा होता है।

7. कहा जाता है कि फराशबीन बच्चों की दिमागी क्षमता व शारीरिक शक्ति को बढ़ाती है। लंबी बीमारी के बाद शरीर कमजोर हो जाने पर फलियों का आधा से एक गिलास रस नियमित रूप से सात दिनों तक पीने पर शरीर में शक्ति का पुन: संचार होने लगता है।

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